Wednesday 30 May 2018

ग़ज़ल

ग़िज़ा दिल को अब तो रूहानी चाहिए।
तार अब रुह की रब से जुड़ानी चाहिए।
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 ‎मतलव की बुनियाद पर टिके हुए हैं रिश्ते,
 ‎समझ लुट जाने पर तो आ जानी चाहिये।
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 ‎काम की बात हो तभी करते हैं लोग बात،
बात उनकी बस अपनी बन जानी चाहिये।
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 ‎उसने चिड़िया को पिला दिया क्या पानी,
 फ़ोटो अखबार में उसकी तो आनी चाहिए।
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 ‎लोक तंत्र बन जाये लीक तंत्र बेशक़,
 ‎रकम लीकेज की मोटी जेब मेँ आनी चाहिए।
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 ‎देखकर अबके लीडरों की हबस ए इख्तियार,
 ‎बिजली तो गिरनी कोई आसमानी चाहिए।
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 ‎दिन भर चलती है हीरोइन की खरोंच की खबर,
 ‎किसी शहीद की भी तस्वीर  दिखानी चाहिए।
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 ‎उग आए हैं खेतों में भी सिमेंटी मकान,
 ‎अब  बचे धान के खेतों को भी पानी चाहिए।
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इक सैलाव फ़ेसबुक पे हकीमों का है आया हुआ,
तस्दीकी उनके लाइसेंसों की भी करानी चाहिए।
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