Thursday 20 October 2011

जिन्दा पहाड़


कालका से शिमला की सड़क,
मोड़ पर मोड़.
अन्तहीन मोड़,

पल पल बदलते दृश्य,
सामने उभरता नया पन,
उमगता अगले मोड़ पर जाने को मन
जैसे हमारा जीवन.

पहाड़ देवता से भी ऊन्चे
आगे और, फिर और ऊन्चे.
दिव्य और नित्‍य  नये.

अपनी दुर्नम्य पीठ पर
अनन्त सम्पदा ओढ़े हुये.

अम्बुजा सीमेन्ट की भयावह चिमनी
जिंदा पहाड़ को काटती महाकाय सुण्डी.
उफनता हुआ दर्द भयंकर,
कोई नहीं सुनता पहाड़ का चुप्‍प चीत्कार.
क्या कोई जिन्दा पहाड़ को भी काटता है
वह भी माता अम्बुजा का नाम लेकर?