Wednesday 30 May 2018

ग़ज़ल

प्हाड़ी ग़ज़ल।

बगते पर

इक कोशिश।



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ताज बगते दा कुसी  माफ नीं करदा कदी

जाळ लकीरां दा नी मत्थे ते उतरदा कदी ।

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राम भटके बणैं-बण भर्त जेह्या राजा कदी

रावणैं गैं था क्या नी  सै:  नी मरदा कदी।

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छाळ समुन्दरैं परैं  हड़्मान  भरदा कदी।

बगत ही ता था पाणीयैं टोह्ल तरदा कदी।

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रोज रोज नि मरदा जीणे अपणे दे तिंयैं

खरा हुँदा  जे देस्से  तियैं  मरदा कदी।

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हाख वगदी हटी नी  चोट रत्ती भर ही थी

हस्सी मळदा पीड़ा हिम्मत करदा कदी।

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डा:डा हुंगा वगत तां  रैंह्दा रहो अपणे घरैं

डाँग बजगी ताँ बजणा दैं, मैं  नीं डरदा कदी।

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सैंकड़े औतार ज्हाराँ संत  आये कवी

माह्णू  सुधरेया नि फिरी भी लुभदा कदी।

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चोट बाह्यै ऐब्बी,  तोप्पै तिसते इ रमान

फट्टाँ बगते देयाँ जो बगत ही भरदा कदी।

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चुकणे ही हन तां झोळी-चक्काँ जो चुक्क,

झोळी-चक दिक्खया नी कम्म करदा कदी।

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लोक हटदे नीं सराह्न्दे  प्हाड़ां बर्फां देयाँ

जीभ सतरोन्दी प्हाड़ सैह्यी  खरदा कदी।

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होऐ मूह्न्दा ता भी भरोह्या लगदा घड़ा

घुआड़ी नै बगते जो कुण दिखदा कदी।

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तेज सेठी।

श्यामनगर, धर्मशाला। (हि o प्र o)

ग़ज़ल

ग़िज़ा दिल को अब तो रूहानी चाहिए।
तार अब रुह की रब से जुड़ानी चाहिए।
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 ‎मतलव की बुनियाद पर टिके हुए हैं रिश्ते,
 ‎समझ लुट जाने पर तो आ जानी चाहिये।
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 ‎काम की बात हो तभी करते हैं लोग बात،
बात उनकी बस अपनी बन जानी चाहिये।
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 ‎उसने चिड़िया को पिला दिया क्या पानी,
 फ़ोटो अखबार में उसकी तो आनी चाहिए।
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 ‎लोक तंत्र बन जाये लीक तंत्र बेशक़,
 ‎रकम लीकेज की मोटी जेब मेँ आनी चाहिए।
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 ‎देखकर अबके लीडरों की हबस ए इख्तियार,
 ‎बिजली तो गिरनी कोई आसमानी चाहिए।
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 ‎दिन भर चलती है हीरोइन की खरोंच की खबर,
 ‎किसी शहीद की भी तस्वीर  दिखानी चाहिए।
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 ‎उग आए हैं खेतों में भी सिमेंटी मकान,
 ‎अब  बचे धान के खेतों को भी पानी चाहिए।
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इक सैलाव फ़ेसबुक पे हकीमों का है आया हुआ,
तस्दीकी उनके लाइसेंसों की भी करानी चाहिए।
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