Saturday, 7 July 2012

blog dhauladhar

श्री सुखराज सिन्ह की लिखी अंग्रेज़ी में कविता का हिन्दी में रुपान्तरण
Welcome Storms
Welcome Dark Clouds
Welcome Rains.

Those Farmers gaping towards horizon in search of you,
Have Started Believing in God again.
Come drench us all on earth, take the filth out.
Surrendered !!

स्वागत है तूफानों का 

स्वागत है घन-घोर घनों का

स्वागत है बौछारों का.
वो खेतीहर ताक रहे दिकमण्डल पर फिराक तुम्हारी,

शुरू कर दी प्रतीति रब्ब में दोबारा.

आओ हम सब को सिक्त करो धरा को कचरा-रिक्त करो.

हम अभिभूत!!

2 comments:

  1. सुखराज सिन्ह के ज़हन में जो चल रहा है
    वह एक ज्वलनशील सोच की परिणति है
    जो क्षणिकाओं में अभिव्यक्त हो रहा है.
    ये उस संवेदनशीलता की कराह है.
    और यही उच्च कोटी की अभीप्सा भी
    और प्रार्थना भी.

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  2. किसान की तकलीफ को कवि ने सही समझा है. आज भी किसान बारि‍श पर नि‍र्भर है. बारिश के साथ उसका भरोसा भी लौट रहा है. तभी अचानक कवि बारिश के आने को प्रार्थना में बदल देता है कि वो भिगोए भी, और आंतरिक सफाई भी करे.

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